गुजरात पुलिस यूनिफॉर्म: सुरक्षा का प्रतीक या गरीबों का भय?

Gujarat Police Uniform – Symbol of Security or Suppression?

पुलिस की वर्दी यानी अनुशासन, सुरक्षा और न्याय का प्रतीक। लेकिन जब यही गुजरात पुलिस की वर्दी कमजोरों और गरीबों पर ज़ुल्म का माध्यम बन जाए, तब व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले के पाटडी सरकारी अस्पताल में जो हुआ, वो मानवता को शर्मसार करने वाला था। अस्पताल में डॉक्टर की अनुपस्थिति के चलते एक मरीज की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद, मृतक का एक रिश्तेदार डॉक्टर की गैरहाज़िरी को लेकर सवाल उठाने लगा। लेकिन जवाब देने की बजाय, वहां मौजूद पुलिस वालों ने उस शख्स को बेरहमी से पीटा—वो भी उसी जगह, जहां उसका अपना मरा पड़ा था।

इस घटना का वीडियो सामने आया है जिसमें पाटडी के पीआई, एएसआई और अन्य पुलिसकर्मी, गुजरात पुलिस की यूनिफॉर्म में, मृतक के रिश्तेदार पर लाठियां बरसाते दिख रहे हैं। इस वीडियो ने लोगों के मन में एक बार फिर सवाल खड़ा किया है—क्या गरीबों के लिए इंसाफ मांगना भी गुनाह हो गया है?

Justice or Intimidation?

This case exposes the deep divide between the privileged and the powerless. A quote circulating after the incident sums it up well:

“Not whites, not blacks—the world belongs to the rich.”

This isn’t just about one incident; it reflects a pattern. When citizens raise their voice for basic rights like healthcare or justice, they are often silenced with force. Meanwhile, real criminals and influential wrongdoers are hardly touched. The Gujrat Police Uniform, instead of ensuring law and order, is increasingly being seen as a symbol of dabangai (bullying)—especially against the common man.

When the system protects the powerful and punishes the weak, the Gujarat Model of development becomes a tale of selective justice.

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. गुजरात पुलिस यूनिफॉर्म का उद्देश्य क्या है?
गुजरात पुलिस यूनिफॉर्म अनुशासन, ईमानदारी और नागरिक सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन हाल की घटनाएं इसके उलट छवि दिखा रही हैं।

2. क्या पुलिस द्वारा नागरिकों को पीटना जायज़ है?
नहीं। किसी भी नागरिक के साथ हिंसा करना, कानून के खिलाफ है, चाहे वह पुलिस ही क्यों न हो।

3. क्या इस मामले में पुलिस के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है?
अभी तक की खबरों के अनुसार, वीडियो सामने आने के बावजूद पुलिस विभाग की ओर से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।

4. डॉक्टर की गैरमौजूदगी पर अस्पताल के खिलाफ क्या कदम उठाए गए?
इसकी कोई पुष्टि नहीं है कि डॉक्टर की अनुपस्थिति पर कोई कार्रवाई की गई है या नहीं।

5. आम आदमी इस तरह की घटनाओं के खिलाफ क्या कर सकता है?
वीडियो सबूत जमा करना, मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराना और सोशल मीडिया के ज़रिए आवाज़ उठाना असरदार कदम हो सकते हैं।

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